शुद्धि और अशुद्धि
मित्रों कोरोना काल चल रहा है यानि की इस महामारी ने आतंक फैलाया हुआ है और अब हम उन सभी चीजों का अनुसरण कर रहे है जो हमें कोरोना से मुक्ति में सहायक हो |
तो चलिए इसी से जुड़ा एक रोचक प्रसंग आप के साथ शेयर करना चाहता हूँ जो हमारी भारतीय संस्कृति और वैदिक रीती रिवाजो से अवगत करते हुए उन पर आप को गर्व भी महसूस करवाएगा |
बात इस मार्च 2020 की है जब लोकडाउन शुरू हो चूका था | मेरे पड़ोस में एक मित्र की माताजी का देहांत हो गया चूँकि वो बहुत समय से बीमार थी किन्तु इस समय जब लोकडाउन बीमारी की वजह से हो तो घर परिवार वाले ज्यादा परेशान हो जाते है | जैसे तैसे अंतिम संस्कार की तैयारी की गयी और श्मशान ले जाया गया | परिवारजनो को छोड़कर सभी को कोरोना का डर था किन्तु पड़ोसी होने के नाते सभी गए भी किन्तु सब अलग अलग जगह बैठ गए और परिवारजन अंतिम संस्कार की प्रकिया करने लगे | अब धर्मशास्त्रों के कथनानुसार श्मशान और कुछ जगहों पर व्यर्थ बातचीत की मनाही है (अब यहां कारण आप खुद समझें ऐसा क्यों कहा गया चलिए मै बता देता हु चूँकि कोरोना जैसे जीवाणु विषाणु इस समय ज्यादा सक्रीय होते है और फिर आप किसी व्यक्ति के अंतिम संस्कार में सम्मिलित होने गए हो जिनकी मृत्यु का कारण कोई न कोई बीमारी होगी | अतः यहां आपका मौन रहना आवशयक है ) परन्तु लोगो को कोन समझा सकता है लगे सब अपनी अपनी सुनाने में | अब मुझे इस बात का ज्ञान था की जितना हो सकें मौन रहा जाये तो मै चुपचाप सबके तरफ देख रहा था कोई अपनी कोई अपनी गाथा गए रहे थे और शायद भूल गए थे की वे किसी के अंतिम संस्कार में आये है | एक सेवानिवृत पडोसी जो हमारे मोहल्ले के वरिष्ठ और आदरणीय सज्जन थे जो मेरे पास आकर विराजे और अपनी ज्ञान गाथा दोहराने लगे मेने उन्हें सबकी तरफ इशारा करते हुए समझाया की मुँह पर मास्क लगे होने के बाद भी सब बकबक कर रहे है जबकि शमशान में तो मौन रहना चाहिए उन्होंने मेरी तरफ मुँह बना लिया जैसे उन्हें मेरी बातें बुरी लग गयी हो | अब मुझे लगा कम से कम इनको तो समझाऊ ताकि ये व्यर्थ की बातें तो नहीं करें | मेने उन से कहा हम कितने अच्छे से वैदिक विधियों से ये संस्कार भी पूरा करते है ताकि प्रकृति में किसी को भी कोई समस्या नहीं होती | अब वो बोले हाँ
और अपना अधूरा ज्ञान सुनाने लगे फिर मेने उन्हें समझाया की देखों शास्त्रों में मौन का मतलब जो जो लिखा है वो आज लोगो को समझ आ रहा है | यहां हम सब अंतिम संस्कार में तो आ गए लेकिन बैठ गए परिवारजन ही सभी क्रिया कलाप कर रहे है किन्तु जब मृत देह को अग्नि दी जाती है तो उसके साथ बहुत सारी सामग्री भी डाली जाती है जिसमे घी,कपूर, और भी बहुत कुछ जो हमें नहीं पता लेकिन विद्वानों ने सूचीबद्ध किया हुआ है | अब इन सामग्री का क्या काम हमें नहीं पता लेकिन जो वैदिक विधियां है वो प्रकृति को नुकसान नहीं होने देती | मृत शरीर किसी भी तरह की बीमारी से संक्रमित हो उसे अग्नि तो मिटा ही देगी लेकिन साथ में ये सामग्री उन जीवाणु विषाणु को प्रकृति में फैलने से रोकने में कारगर है | अब उन्हें कुछ कुछ समझ आने लगा इससे पहले तो वो बस इसे एक क्रिया कलाप ही समझ रहे थे | फिर मेने आगे समझाया अग्नि मृत शरीर को तो मुक्त कर ही देगी लेकिन जो परिवारजन साथ में इस क्रिया को सम्पन्न कर रहे है वो भी इस अग्नि के भीषण ताप से अपने शरीर को विषाणु जीवाणु से मुक्त कर लेंगे क्योंकि अग्नि शमन करने वाली है और जो ताप उस समय होता है वो असहनीय होता है | फिर उन्होंने सभी की तरफ इशारा किया जो साथ पडोसी और रिश्तेदार गए थे उनका क्या | मेने कहा कुछ क्षण प्रतीक्षा कीजिये और मै मौन हो गया | कुछ समय पश्चात परिवार के सदस्यों द्वारा सभी अंतिम संस्कार में सम्मिलित हुए लोगो को चन्दन की लकड़ी अग्नि में देने हेतु दी जाने लगी | अब वो ये तो जानते थे की क्यों दी गयी है लेकिन कारण क्या है वो मेने उन्हें बताया |
आगे...…......
और अपना अधूरा ज्ञान सुनाने लगे फिर मेने उन्हें समझाया की देखों शास्त्रों में मौन का मतलब जो जो लिखा है वो आज लोगो को समझ आ रहा है | यहां हम सब अंतिम संस्कार में तो आ गए लेकिन बैठ गए परिवारजन ही सभी क्रिया कलाप कर रहे है किन्तु जब मृत देह को अग्नि दी जाती है तो उसके साथ बहुत सारी सामग्री भी डाली जाती है जिसमे घी,कपूर, और भी बहुत कुछ जो हमें नहीं पता लेकिन विद्वानों ने सूचीबद्ध किया हुआ है | अब इन सामग्री का क्या काम हमें नहीं पता लेकिन जो वैदिक विधियां है वो प्रकृति को नुकसान नहीं होने देती | मृत शरीर किसी भी तरह की बीमारी से संक्रमित हो उसे अग्नि तो मिटा ही देगी लेकिन साथ में ये सामग्री उन जीवाणु विषाणु को प्रकृति में फैलने से रोकने में कारगर है | अब उन्हें कुछ कुछ समझ आने लगा इससे पहले तो वो बस इसे एक क्रिया कलाप ही समझ रहे थे | फिर मेने आगे समझाया अग्नि मृत शरीर को तो मुक्त कर ही देगी लेकिन जो परिवारजन साथ में इस क्रिया को सम्पन्न कर रहे है वो भी इस अग्नि के भीषण ताप से अपने शरीर को विषाणु जीवाणु से मुक्त कर लेंगे क्योंकि अग्नि शमन करने वाली है और जो ताप उस समय होता है वो असहनीय होता है | फिर उन्होंने सभी की तरफ इशारा किया जो साथ पडोसी और रिश्तेदार गए थे उनका क्या | मेने कहा कुछ क्षण प्रतीक्षा कीजिये और मै मौन हो गया | कुछ समय पश्चात परिवार के सदस्यों द्वारा सभी अंतिम संस्कार में सम्मिलित हुए लोगो को चन्दन की लकड़ी अग्नि में देने हेतु दी जाने लगी | अब वो ये तो जानते थे की क्यों दी गयी है लेकिन कारण क्या है वो मेने उन्हें बताया |
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